छोटी बहू................ लेखनी कविता -14-Jun-2024
आज दिनांक १४.६.२४ को प्रदत्त स्वैच्छिक विषय पर प्रतियोगिता वास्ते मेरी प्रस्तुति
.......................छोटी बहू................
छोटी बहू तो नेक है पाती सबसे प्यार,
जेठानी,नन्दें सभी करतीं खुब दुलार।
दौड़ दौड़ कर सारे घर के काम वही निबटाती है,
कोई चीज़ ' घर खो जाय तो वहीं ढ़ूंढ़ कर लाती है।
सास की सेवा,श्वसुर की औषधि सभी याद रहता उसको,
शाम को साढ़े छः बजते बजते है चाय मिल जाती सबको
चुन्नू,गुड़िया स्कूल को जाते,चाची तैय्यार करा देती,
नहला कर ड्रेस भी पहनाती और नाश्ता नित्य करा देती।
न मालूम क्या जादू है जानतीं,सब बच्चों को चाची से नहाना है,
वहीं तैय्यार करती है सबको, नाश्ता भी चाची से लेना है।
कभी पकोड़े,कभी खीर-पूड़ी वो बनाया करती है,
मैगी-पाश्ता आदि ज़हर से दूर दूर सभी को रखती है।
सब बच्चों की प्यारी चाची बच्चों से है प्यार उसे,
सारे घर की वहीं दुलारी, सब पर है अभिमान उसे।
सासू मां को प्यारी है वह आखिर सब से छोटी है,
जितना अधिकार न पाया किसी ने वह छोटी हो कर रखती है।
आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़